वायरस और एंटीवायरल दवाइयाँ



 वायरस बहुत छोटे संक्रामक जीव होते हैं जो केवल जीवित कोशिकाओं के अंदर ही बढ़ सकते हैं। बैक्टीरिया के विपरीत, उनके पास अपना खुद का मेटाबॉलिज्म नहीं होता, जिससे इन्हें नष्ट करना कठिन होता है। हालांकि, एंटीवायरल दवाइयाँ विशेष रूप से वायरस की वृद्धि को रोकने के लिए बनाई जाती हैं और वायरस जनित बीमारियों के इलाज में मदद करती हैं।

एंटीवायरल दवाइयाँ कैसे काम करती हैं?



ये दवाइयाँ वायरस के जीवन चक्र के विभिन्न चरणों को प्रभावित करके काम करती हैं। मुख्य प्रकार इस प्रकार हैं:

  1. वायरस को कोशिका में प्रवेश करने से रोकना – कुछ दवाइयाँ वायरस को कोशिका में जाने से रोक देती हैं।

    • उदाहरण: माराविरोक (HIV के लिए) वायरस को प्रतिरक्षा कोशिकाओं से जुड़ने से रोकता है।

  2. वायरस की प्रतिकृति को रोकना – ये दवाइयाँ वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने से रोकती हैं।

    • उदाहरण: एसाइक्लोविर (हरपीज वायरस के लिए) वायरस के डीएनए संश्लेषण को बाधित करता है।

  3. नए वायरस कणों के निर्माण और फैलाव को रोकना – कुछ दवाइयाँ नए वायरस कणों को बनने या संक्रमित कोशिका से बाहर निकलने से रोकती हैं।

    • उदाहरण: ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू) इन्फ्लूएंजा वायरस के फैलाव को रोकता है।

एंटीवायरल दवाओं के प्रकार



1. न्यूक्लियोसाइड और न्यूक्लियोटाइड एनालॉग्स

ये दवाइयाँ डीएनए या आरएनए के निर्माण में बाधा डालकर वायरस की वृद्धि रोकती हैं।

  • उदाहरण:

    • एसाइक्लोविर (हरपीज वायरस)

    • ज़िडोवुडिन (HIV/AIDS)

    • रेमडेसिविर (कोविड-19)

2. प्रोटीएज़ इनहिबिटर्स

ये दवाइयाँ प्रोटीएज़ एंजाइम को रोकती हैं, जिससे वायरस परिपक्व नहीं हो पाता।

  • उदाहरण:

    • रिटोनाविर (HIV)

    • बोसेप्रेविर (हेपेटाइटिस C)

3. न्यूरामिनिडेज़ इनहिबिटर्स

ये एंजाइम को रोककर वायरस को फैलने से रोकती हैं।

  • उदाहरण:

    • ओसेल्टामिविर (इन्फ्लूएंजा)

    • ज़नामिविर (इन्फ्लूएंजा)

4. पोलीमरेज़ इनहिबिटर्स

ये वायरस के आनुवंशिक पदार्थ को कॉपी करने से रोकती हैं।

  • उदाहरण:

    • सोफोसबुविर (हेपेटाइटिस C)

    • फेविपिराविर (इन्फ्लूएंजा, कोविड-19 ट्रायल)

सामान्य वायरस और उनके लिए दवाइयाँ

बीमारीवायरस       एंटीवायरल दवा
इन्फ्लूएंजाइन्फ्लूएंजा वायरस ओसेल्टामिविर, ज़नामिविर
HIV/AIDSह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस  ज़िडोवुडिन, रिटोनाविर
हेपेटाइटिस B हेपेटाइटिस B वायरस टेनोफोविर, एन्टेकाविर
हेपेटाइटिस C   हेपेटाइटिस C वायरस सोफोसबुविर, लेडिपासविर
हरपीजहरपीज सिंप्लेक्स वायरसएसाइक्लोविर, वलासाइक्लोविर
कोविड-19SARS-CoV-2रेमडेसिविर, मोल्नुपिराविर

एंटीवायरल दवाइयों की चुनौतियाँ

  1. वायरस का तेजी से म्यूटेट होना – वायरस लगातार बदलते रहते हैं, जिससे दवाइयाँ कम प्रभावी हो जाती हैं।

  2. सीमित दवा विकल्प – एंटीबायोटिक्स की तुलना में एंटीवायरल दवाइयाँ बहुत कम हैं।

  3. दुष्प्रभाव और विषाक्तता – कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट होते हैं, जैसे मतली, लिवर डैमेज आदि।

  4. महंगे उपचार – कई एंटीवायरल दवाएँ महंगी होती हैं, जिससे गरीब देशों में इनका इस्तेमाल कठिन हो जाता है।

  5. जल्दी इलाज की आवश्यकता – अधिकतर एंटीवायरल दवाएँ संक्रमण के शुरुआती चरण में ही प्रभावी होती हैं।

भविष्य में एंटीवायरल उपचार

  • CRISPR जीन एडिटिंग – वायरस के डीएनए को कोशिका से निकालने की संभावनाएँ।

  • ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीवायरल्स – एक साथ कई वायरस को निशाना बनाने वाली दवाएँ।

  • नैनोटेक्नोलॉजी-आधारित दवाएँ – दवा को अधिक प्रभावी ढंग से पहुँचाने के लिए नैनोकणों का उपयोग।

  • टीकाकरण का विकास – टीकों के माध्यम से कई वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

एंटीवायरल दवाएँ वायरस से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन वायरस की तेज़ी से बदलती प्रकृति के कारण इनका विकास चुनौतीपूर्ण है। बेहतर उपचार विकसित करने के लिए लगातार शोध जारी है। संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण, स्वच्छता और उचित दवा उपयोग महत्वपूर्ण हैं।

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